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दिसंबर 2025 में एकादशी कब-कब हैं Ekadashi Date In December 2025: सनातन धर्म में एकादशी तिथि को काफी महत्वपूर्ण माना जााता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। इसमें से हर माह में लगभग दो एकादशी होती हैं, जिनमें एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि होती है। वहीं, साल 2025 के आखिरी महीने दिसंबर में 3 एकादशी तिथि पड़ने जा रही हैं। इनमें से एक एकादशी तो मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष होगी। वहीं, दो एकादशी तिथि पौष माह की पड़ेंगी। Ekadashi Dates In December 2025 (दिसंबर 2025 में एकादशी कब-कब है) साल 2025 के दिसंबर महीने की शुरुआत ही एकादशी तिथि से होगी और अंत भी एकादशी तिथि पर होगा। इस कारण यह महीना बेहद ही शानदार रहने वाला है। पंचांग के अनुसार साल 2025 के दिसंबर महीने में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरुआत 30 नवंबर की रात 9 बजकर 29 से होगी और 1 दिसंबर शाम 7 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। इस कारण उदया तिथि के अनुसार, 1 दिसंबर के दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। पूरी स्टोरी पढ़ें इसके बाद 14 दिसंबर को पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शाम 6 बजकर 49 से शुरू होगी और यह 15 दिसंबर की रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार 15 दिसंबर के दिन सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। सबसे अंत में पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और यह 31 दिसंबर की रात 5 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार 30 दिसंबर के दिन पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना शुभ रहेगा। एकादशी की पूजा विधि एकादशी का व्रत सूर्योदय से पहले शुरू करें। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ पीले या सफेद वस्त्र पहनें और घर के पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें। चौकी पर पीला या सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण-राधा या लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति/फोटो स्थापित करें। घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। अब दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प व तुलसी दल लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं या गंगाजल से अभिषेक करें। चंदन, कुमकुम, अक्षत, पीले या सफेद पुष्प, तुलसी पत्र, मौसमी फल, मिठाई (खोया, मावे की मिठाई या पंचमेवा) और माखन-मिश्री का भोग लगाएं। तुलसी जी को भी प्रसाद जरूर चढ़ाएं। घी का दीपक जलाकर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘ॐ नारायणाय नमः’ मंत्र का कम से कम 1 माला (108 बार) जप करें। इसके साथ ही विष्णु सहस्रनाम, गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र या श्रीमद्भागवत की एकादशी महात्म्य की कथा पढ़ें या सुनें। दिनभर फलाहार रखें। साधारण नमक बिल्कुल न लें और सेंधा नमक भी नहीं लें। केवल फल, साबूदाना, मेवे, दूध, दही, माखन-मिश्री, आलू-समा चावल की खिचड़ी आदि ले सकते हैं। चावल, गेहूं, दाल, प्याज-लहसुन पूरी तरह से वर्जित हैं। क्रोध, झूठ और किसी का अपमान न करें। शाम को फिर दीपक जलाकर भगवान की आरती करें और ‘ॐ जय जगदीश हरे’ या विष्णु जी की आरती करें। दूसरे दिन द्वादशी को सूर्योदय के बाद व्रत खोलें। सबसे पहले तुलसी जी को प्रणाम करें, फिर गौ माता को गुड़-रोटी खिलाएं या गाय को कुछ दान दें। इसके बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को फल-मिठाई, दक्षिणा देकर दान करें। अंत में स्वयं फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें। इस विधि से एकादशी का व्रत करने पर पाप नाश होते हैं, मन शुद्ध होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से। लेटेस्ट न्यूज
Mohit Tiwari Author मोहित तिवारी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रतिष्ठित न्यूजपेपर में फील्ड रिपोर्टिंग से की थी। मोहित ... और देखें hindi newsspirituality End of Article Subscribe to our daily Spirituality Newsletter! Submit संबंधित खबरें क्योंकि... की एक्ट्रेस ने वृंदावन के इस मंदिर में रचाई शादी, बनेगा दुनिया का सबसे ऊंचा टेंपल,
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