जानिए ऑफर, अपॉइंटमेंट और ज्वाइनिंग लेटर में क्या अंतर होता है?
Offer letter - जब कोई कंपनी या संगठन एक नौकरी के उम्मीदवार को नियुक्त करने का फैसला करती है, तो वह अक्सर उसे यह बताने के लिए एक पत्र भेजती है कि उन्हें पद ऑफर किया जाता है।
ऑफ़र लेटर में चयनित उम्मीदवार को नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए एक समय सीमा होती है, और यदि उस तिथि तक उम्मीदवार के तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है, तो कंपनी उसके बजाय किसी अन्य आवेदक को नियुक्त करने का विकल्प चुन सकती है।
ऑफ़र पत्र देने और स्वीकार करने के बाद, नियुक्ति पत्र कंपनी और कर्मचारी के बीच बातचीत का अगला स्टेप है।
नियुक्ति पत्र (Appointment letter) - यह नियोक्ता की ओर से कर्मचारी के नाम पर जारी किया गया एक पत्र होता है जो पुष्टि करता है कि कंपनी/संगठन ने कर्मचारी को एक पद की पेशकश की है और उसने वेतन के बदले में शर्तों और समझौते को स्वीकार किया है। नियुक्ति पत्र एक "लाइसेंस" की तरह है जिसे नौकरी की "गारंटी" भी माना जाता है। इस कानूनी दस्तावेज को प्राप्त करने के बाद वह कंपनी का पारिवारिक सदस्य बन जाता है।
हाँ। नियुक्ति पत्र महत्वपूर्ण है, कंपनी में शामिल होने का प्रस्ताव देने के लिए ऑफर लेटर जारी किया जाता है लेकिन नियुक्ति पत्र तब जारी किया जाता है जब कोई अभ्यर्थी पत्र में उल्लिखित कुछ शर्तें के साथ स्वीकार कर कंपनी में शामिल होता है।
एक नियुक्ति पत्र हमेशा कंपनी के Logo सहित लेटरहेड पर लिखा होना चाहिए। इसमें उस व्यक्ति की संपर्क जानकारी भी होनी चाहिए जिसने पत्र लिखा है। पत्र के उपर इसमें आसान पहचान के लिए एक संदर्भ संख्या (Reference No.) शामिल होनी चाहिए।
Joining letter - नौकरी/जॉब ज्वाइन करते वक्त लिखा जाने वाला पत्र। जब नियुक्ति ऑफिस द्वारा होता है तो उसके बाद निर्धारित कार्यालय और पद ग्रहण करना होता है। इसके लिये वहां पहुँचने के बाद उस कार्यालय के प्रधान अधिकारी को एक पत्र लिखना पड़ता है की मै आज यहाँ पहुंचा हु और ड्यूटी कर रहा हूँ..इसे 'Joining Report या Letter' कहते है।
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